मौलाना डा0 कल्बे सादिक़ साहब सभी वर्गो के मुसलमानों की सही पहचान...!
वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रदान ने कहां....!
एस.एन.लाल
मौलाना कल्बे सादिक़ साहब के बारे में लोग सोंचेगे, पता नही क्यों लिख रहे...!, ये तो सभी मानते है मौलाना डा0 कल्बे सादिक़ साहब जैसा कोई मौलाना नहीं, क्योंकि वह इस्लाम को आज के दुनियाबी आईने में दिखाते है, ताकि मुसलमान की जिन्दगी जीना आसान हो, वह इस्लाम के चेहरे के सामने दुनियाबी आईने पर पर्दा नही डाले रखते...! एस.एन.लाल
मेरा महीने में कम से कम स्वास्थ्य सम्बन्धी संस्थाओं की दो मीटिंगो या कार्यशालाओं में जाना रहता है। जहां सभी धर्म के लोग बैठे रहते हैं, उनके बीच जब मुसलमानों की बात होती है। तो मुसलमानों पर फर्ज़ी कट्टरपन्थी की पड़ी धूल को साफ करने के लिए मौलाना डा0 कल्बे सादिक़ साहब का ही नाम लिया जाता है। मौलाना का नाम कोई मुसलमान नहीं, बल्के बहुत अदब से ग़ैरमुस्लिम ही लेता है। एस.एन.लाल
आज भी कुछ ऐसा ही हुआ कि बच्चों की सेहत के बारे में होटल फारचून में प्रोग्राम था, वहां जब मुसलमानों के ज़्यादा बच्चों के पैदा करने पर इस्लाम पर तोहमत लगने लगी, तो वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान बोले, ''ये ग़ल्त है इस्लाम में ऐसा नहीं है, आज से 20 साल पहले डा0 कल्बे सादिक़ साहब ने हमको बताया था,'' कि ''इस्लाम कहता है जितने बच्चों की अच्छी परवरिश कर सको, बस उतने बच्चे पैदा करना चाहिए।'' और आज के दौर में एक या दो से ज़्यादा बच्चों की अच्छी परवरिश करना मुश्किल है। एस.एन.लाल
मैने यूनीसेफ के लिए पोलियो कीट लिखी (जिसमें थाः-किस वर्ग या स्तर के लोगों को किस तरह पोलियों ड्राप पिलवाने को लेकर समझा जाये), यूनीसेफ के लिए ही गर्भवती महिला के लिए निदेर्शिका डिज़ाइन कराई। स्पर्श के लिए दो साल लोगो से इन्टरव्यूह करके एड्स पर प्रश्न-उत्तर आधारित एक किताब लिखी। सिफ्सा के लिए बर्थ कन्ट्रोल पर काम किया और कई स्वास्थ्य सम्बन्धी संस्थाओं के लिए अनगिनत नुक्कड़ नाटक लिखे है। एस.एन.लाल
जिस कारण मुझे स्वास्थ्य सम्बन्धी संस्थाये अपने कार्यक्रमों में बुलाती रहती है, मै अगर वर्ष भर में 15 स्वाथ्स्य सम्बन्धी कार्यक्रम अटैण्ड करता हूॅं, तो 10 में सारे मुसलमानों की ओर से केवल डा0 कल्बे सादिक साहब का ही नाम लिया जाता है, यह...सुनकर बहुत अच्छा लगता है। एस.एन.लाल
मौलाना डा0 कल्बे सादिक़ साहब सभी वर्गो के मुसलमानों की सही पहचान...!